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खो गई है.





वो सड़क जो तेरे घर तक जाती थी
कहीं मुझ से खो गई है.
मेरी आँखों से ओझल हो किसी और
कि वो अब हो गई है
 मालूम नहीं अब किस नाम से मशहूर
 वो यहा हो गई है
कौन सा मोड़ था मुड़ गए थे और वो यू
 ही खफ़ा हो गई है
रात कि वीरानियाँ दिल में लिए भटके
आज वो चुप हो गई है
नया सा नाम लेकर पुराने लिबास में
कहा खड़ी हो गई है
ज़िन्दगी के कौन से दोराहे पर मुझ से
जुदा  हो गई है
वक़्त और हालत कि  गर्दिश में यू ही  वो
कहीं  फिर खो गई है
नाकाम ख्वाहिशें रास्ते के ज़द में मंज़िलों
से दूर हो गई है
आराधना राय 

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ग़ज़ल

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राहत

ना काबा ना काशी में सकूं मिला दिल को दिल से राहत थी जब विसाल -ए -सनम मिला। ज़िंदगी का कहर झेल कर मिला बीच बाज़ार में खुद को  नीलम कर गया यू  हर आदमी मिला राह में वो इस तरह कोई चाहतों से ना मिला रूह बेकरार रहे कोई "अरु" और वो अब्र ना कभी हमसे यू मिला आराधना राय copyright :  Rai Aradhana  ©