बारात चली थी
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वो हाथों कि मेंहदी दिखाते है
हमारे दिल को क्यू खूँ में नहलाते है
उसकी आंखों में सिर्फ लाली थी
वो किसी और कि हमेशा जो होने वाली थी सब ने लाल जोड़ें में सजे देखा
उस के दिल के दर्द को किसी ने ना देखा था
तमाम खुशियों कि बारात सजी थी
बड़ी ख़ामोशी से इश्क़ कि अर्थी सजने वाली थी
बडी धूम से डोली उठी थी
किसे पता "अरु " वो लाचारी साथ लेकर चली थी
आराधना राय
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वो हाथों कि मेंहदी दिखाते है
हमारे दिल को क्यू खूँ में नहलाते है
उसकी आंखों में सिर्फ लाली थी
वो किसी और कि हमेशा जो होने वाली थी सब ने लाल जोड़ें में सजे देखा
उस के दिल के दर्द को किसी ने ना देखा था
तमाम खुशियों कि बारात सजी थी
बड़ी ख़ामोशी से इश्क़ कि अर्थी सजने वाली थी
बडी धूम से डोली उठी थी
किसे पता "अरु " वो लाचारी साथ लेकर चली थी
आराधना राय
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