चली आएगी
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चुप चाप एक दिन चली आएगी
उदास चेहरे पे हँसी भी आएगी
ज़िंदगी के नए फ़लसफ़े सुनाएगी
दास्ताँ अपनी भी वो सुना जाएगी
आँखों के फ़साने तुझे भी सुनाएगी
एक दिन चुप चाप चली वो जाएगी
शाम ना कोई फ़िर आज सी आएगी
वो चुप चाप आई थी चुप ही जाएगी
ग़मों का सौदा कर खुशी दे जाएगी
ये "अरु" भी हज़ार बात कह जाएगी
आराधना राय
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