ढूंढते रहे
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तेरी चाहत लिए ना जाने कहाँ यू घूमते रहे
मंज़िल कि तलाश में जाने क्या यू ढूंढ़ते रहे
वादा नहीं तुझसे फिर सनम तुझे ढूंढते रहे
बोझ कांधे उठा कर सदियों यू ही घूमते रहे
रात दर्द की खामोशियों में तुझे क्यू ढूंढते रहे
ख्वाब था फिर भी सिरहाने तुझे यू ही ढूंढते रहे
किस कशमकश में थे क्यों ये बात पूछते ही रहे
तेरे घर का पता किसी और से हम क्यू पूछते रहे
तेरे बगैर ज़िन्दगी काटी और तुझे भूलते ही रहे
इसी सोच में जाने किस किस को खुदा बोलते रहे
आराधना राय
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