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तेरी हर बात


साभार गुगल इमेज़ 
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तेरी हर बात पर एतबार है क्यू  मुझे
ज़िन्दगी तू फिर मिल गई राह में मुझे

गीत कोई अधूरा गा कर होंठ चुप हो गए 
तेरी ही रूह हूँ अब तो  महसूस कर मुझे

सदियों से हूँ यही  ही किसी इंतज़ार में
ख़्वाब हूँ पलकों से अपनी चुन ले तू मुझे

वक़्त कि दीवार पे टिकी एक तस्वीर हूँ
मैं तेरा ही तसव्वुर हूँ ये बात याद हैं मुझे
  आराधना राय 

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ग़ज़ल

लगी थी तोमहते उस पर जमाने में एक मुद्दत लगी उसे घर लौट के आने में हम मशगुल थे घर दिया ज़लाने में लग गई आग सारे जमाने में लगेगी सदिया रूठो को मानने में अजब सी बात है ये दिल के फसाने में उम्र गुजरी है एक एक पैसा कमाने में मिट्टी से खुद घर अपना बनाने में आराधना राय 

राहत

ना काबा ना काशी में सकूं मिला दिल को दिल से राहत थी जब विसाल -ए -सनम मिला। ज़िंदगी का कहर झेल कर मिला बीच बाज़ार में खुद को  नीलम कर गया यू  हर आदमी मिला राह में वो इस तरह कोई चाहतों से ना मिला रूह बेकरार रहे कोई "अरु" और वो अब्र ना कभी हमसे यू मिला आराधना राय copyright :  Rai Aradhana  ©