आज हूँ तुम कल मुझे नहीं तुम पाओगे
मेरी आवाज़ भी सुन नहीं तुम यू पाओगे
दिल ही दिल में तुम भी खूब पछताओगे
मुझ को खोकर बता तुम यहाँ क्या पाओगे
रूठ कर तुम भला क्या मुझ से दूर जाओगे
ज़र्रे -ज़र्रे में मुझको ही तुम बिखरा पाओगे
उलझनें अपनी ही खुद तुम यू बढ़ा जाओगे
हर जगह वीरान सी मेरे बगैर तुम पाओगे
ना रो सकोगे तुम फिर ना यू मुस्कुरओगे
दिल के टूटने कि आवाज़ ही सुन पाओगे
मेरे ज़ख़्मों को कुरेद कर तुम क्या पाओगे
मैं जो रोइ तो तुम भी तो अश्क़ बहाओगे
नज़्म .... आराधना राय
Comments