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नज़्म -------------तेरे ख़त





आभार गुगल इमेज़


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   तेरे ख़त मुझे आज भी  क्यू  देर तक यू रुलाते है  
 यादों कि कैद में थमीं बातों में  जब मुस्कुराते है 

धुँधले हो चुके स्याह शब्द  कुछ कह से जाते है  
 आँसुओ  के धब्बों में छिपे राज़ हरे से हो जाते है 

  वक़्त के मोड़ पर खड़े यू ही जब कहीं ठहर जाते है  
 उनकी बातों के सायों को इंतज़ार  में खड़े पाते  है 

 कागज़  ना दवात कलम लिखने वाले लिख जाते है  
बातों के अहसास अब किसी के समझ नहीं आते है  

किसी के ऑंसू भी कोई दास्तां नहीं सुना कर  जाते है 
दर्द दिल के दिल में ही दफन से हो कर क्यू रह जाते है 


  आराधना राय  

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ग़ज़ल

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