साभार गुगल इमेज़
जीवन संग्राम इस बार भी कहा हो गया
हर कोई ज़ुल्म का शिकार यहाँ हो गया
ज़द्दोज़हद में झूठ का बोल बाला हो गया
आदमी खून कर के खुद भगवान हो गया
दुराचार , व्यभिचार का शिकार भी हो गया
हर घड़ी , रक़्स , ज़ुल्म सितम यही हो गया
अपनों के सुख दुसरो के दुख देख खुश हो गया
जहां में हर कोई एक दूसरे से परेशान हो गया
कॉपी राइट @आराधना राय
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