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मन का पंछी




तुम बोलते नहीं कुछ कभी
पर कुछ है जो कह जाते हो।

कठोर से कठोर बात भी कहि    
मौन हो सबकुछ  सह जाते हो।

किस देश के पंछी हो सुनो तुम
 बात जो अनकही कह जाते हो।

सुगंध व्यार से बस बह जाते हो
मेरे  ही आस -पास रह जाते हो ।


copyright : Rai Aradhana ©

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