आज होली ना खेलेंगे तुम संग
गुलाल अबीर सोहे ना अब रंग
आज मारो ना मोहे यू पिचकारी
नैनों से भीगी है मोरी पूरी साडी
कोई भाए ना मोहे अब बृज में
रंग फीके सभी , इन के संग में
कहा श्याम छिपे , हो कुंज में
मैं ढुढ़ू तुम्हें , सब गलियन में
मैंने प्रीत की रीत जो निभाई
अंसुअन की माला भी पहनाई
अब श्यामा ही डालेंगे रंग ये
जो ना छूटे कभी ऐसा संग ये
होली की शुभ कामनाओं के साथ
आराधना
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