बीती बाते मन ही मन शोर मचाएगी
साँझ बिरहन जब गुमसुम आ जाएगी
मन का खाली कोना खाली न रह पायेगा
नयनों के कोरो से छ्लक- छ्लक आ जाएगा।
होली के रंग भी मन को ना रंग ये जब पायेगे
लाल ,गुलाबी, नीले,पीले,बादल बहुत रुलायेंगे
दोनों बाहें ,फैला कर ,घर आँगन तुझे बुलायेंगे
दूर देश में रहने वाले ,लौट के घर जब ना जायेगे।
सतरंगे सपनों कि माला हरपल तुझे लुभायगी
हरी चूड़ियों के हिलने पर याद तुम्हारी आएगी
कोई घर में नीर बहा कर रात को ना सो पायेगा
सन्नाटे ही सन्नाटे में मन कुछ भूल ना पायेगा
मन की बातें मन ही जाने ,कोई भी समझ न पायेगा
गया समय जब हाथ दिखा कर दूर कहीं छुप जायेगा।
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------
Comments