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कैसे -कैसे दिन हमने काटे है  अपने रिश्ते खुद हमने छांटे है पाँव में चुभते जाने कितने कांटे है आँखों में अब ख़ाली ख़ाली राते है इस दुनिया में कैसे कैसे नाते है तेरी- मेरी रह गई कितनी बातें है दिल में तूफान छुपाये बैठे है  बिन बोली सी जैसे बरसाते है
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अच्छा था

ज़िन्दगी तेरे बिना जी लेते तो अच्छा था दामन आंसुओं में भिगो लेते तो अच्छा था सुना कर हाल दिल का रात भर रोये तुम से राब्ता न होता दिल का तो अच्छा था दिल धड़कता रहा मगर जुबा चुप थी मेरे इकरार को इंकार समझ लेते तो अच्छा था ख़ुशी की महफिले कम पड़ी गम भुलाने में हमें तुम याद न आते अरु तो अच्छा था

ग़ज़ल

लगी थी तोमहते उस पर जमाने में एक मुद्दत लगी उसे घर लौट के आने में हम मशगुल थे घर दिया ज़लाने में लग गई आग सारे जमाने में लगेगी सदिया रूठो को मानने में अजब सी बात है ये दिल के फसाने में उम्र गुजरी है एक एक पैसा कमाने में मिट्टी से खुद घर अपना बनाने में आराधना राय 

नज़्म

रोज़ मिलती है सरे शाम बहाना लेकर जेसे अँधेरे में उजालों का फसाना लेकर चाँद के पास से चाँदनी का खजाना लेकर मुझको अनमोल सा एक नजराना देकर मेरा दर दर नहीं कुछ नहीं है क्या उसका जब भी मिलती है यही एक उलहना लेकर रात भर कितने आबशार बहा के जाती है पर वो जाती है तो किस्मत का बहाना लेकर - आराधना राय 

नज़्म

 उम्र के पहले अहसास सा कुछ लगता है वो जो हंस दे तो रात को  दिन लगता है उसकी बातों का नशा आज वही लगता है चिलमनों की कैद में वो  जुदा  सा लगता है उसकी मुट्टी में सुबह बंद है शबनम की तरह फिर भी बेजार जमाना उसे लगता है आराधना
रिश्ता पक्का है -----------------------------------------------------------------------------------------------  धारावाहिक का उद्देश्य— “रिश्ता पक्का है” कई अलग-अलग कहानियों को पेश करेगा l इसके साथ मीठा और खट्टा अनुभव कहानी के माध्यम से लोगों  के मन को गुदगुदा जाएगा l ------------------------------------------------------------------------------------------------                          पात्र – परिचय लड़का --- दिनेश   (ऑफिस में अकाउंटेंट) लडके का पिता श्री सतीश बहल --  (पेशे से टीचर) लडके कि माँ शशिबाला ---------    (गृहणी) लड़के का छोटा भाई ------------ वरुण लडके की बहन-------------------- कल्पना रिश्ता करवाने वाला व्यक्ति---- शास्त्री जी लडकी का परिवार लड़की – संजना लडकी  की बहन – रंजना लडकी का भाई – प्रवेश मालिक लड़की की भाभी- कृतिका लड़की के पिता- डॉ आशीष मालिक लड़की की माँ गृहणी---सुलोचना बच्चे -तृषा , नकुल                            दृश्य-1 स्थान- लडके वालों का घर l सतीश जी अखबार के विज़ापन अपने लड़के के लिए लड़की खोज रहे है l

दो शेर

दो शेर वो जिधर  निकला काम कर निकला वो तीर था मेरे जिगर के पार निकला मेरी खामोशियाँ भी बात मुझे  करती है तेरी बेवफाईयों को मेरी नजर कर निकला